ग़फ़्लत की हँसी से आह भरना अच्छा Admin अकबर बीरबल शायरी, Rubaai << है हिर्स-ओ-हवस के फ़न की ... दुनिया करती है आदमी को बर... >> ग़फ़्लत की हँसी से आह भरना अच्छा अफ़आ'ल-ए-मुज़िर से कुछ न करना अच्छा 'अकबर' ने सुना है अहल-ए-ग़ैर से यही जीना ज़िल्लत से हो तो मरना अच्छा Share on: