है जिस की सरिश्त में सफ़ाहत का मैल By Rubaai << हर आग को नज़्र-ए-ख़स-ओ-ख़... 'सौदा' शेर में है... >> है जिस की सरिश्त में सफ़ाहत का मैल ले जाए बहा के गरचे तालीम का सैल और खाए पड़ा गरचे बरसों ग़ोते निकलेगा तो होगा फिर वही बैल का बैल Share on: