हमारा अक़ीदा Admin अमन पर शायरी, Rubaai << ललकार इस से कि कहीं के शाह हो स... >> हम अम्न में रखते हैं यक़ीन-ए-कामिल है अम्न-ए-जहाँगीर हमारी मंज़िल लेकिन कोई ग़ासिब जो बढ़े सरहद पर 'शैदा' उसे कर देंगे जहन्नम वासिल Share on: