हमदर्द हूँ सब ये लुत्फ़-ए-आबादी है Admin शादी कार्ड शायरी, Rubaai << हासिद तुझ पर अगर हसद करता... है साफ़ अयाँ हरम-सरा का म... >> हमदर्द हूँ सब ये लुत्फ़-ए-आबादी है हम-साया भी हो शरीक तब शादी है तस्कीन है जबकि हो ख़ुदा पर तकिया क़ानून बना सकें तब आज़ादी है Share on: