हासिद तुझ पर अगर हसद करता है Admin बुलंदियों पर शायरी, Rubaai << इस बज़्म से सब के सब उठे ... हमदर्द हूँ सब ये लुत्फ़-ए... >> हासिद तुझ पर अगर हसद करता है कर सब्र कि ख़ुद वो कार-ए-बद करता है अपनी पस्ती को कर रहा है महसूस और तेरी बुलंदियों से कद करता है Share on: