हिजरत तुम्हें करनी है मुहाजिर की तरह By दुनिया, बेसबाती, Rubaai << हम दिल का हर इक ज़ख़्म छु... अहबाब ने सौ तरह हमें ख़्व... >> हिजरत तुम्हें करनी है मुहाजिर की तरह समझो न इसे मंज़िल-ए-आख़िर की तरह दुनिया जिसे कहते हैं सराए है 'उबैद' रहना है यहाँ एक मुसाफ़िर की तरह Share on: