इस्याँ से हूँ शर्मसार तौबा या-रब By Rubaai << साग़र कफ़-ए-दस्त में सुरा... रक्षा-बंधन की सुब्ह रस की... >> इस्याँ से हूँ शर्मसार तौबा या-रब करता हूँ मैं बार बार तौबा या-रब न जुर्म का पायाँ न गुनाहों का शुमार इक तौबा तो क्या हज़ार तौबा या-रब Share on: