रक्षा-बंधन की सुब्ह रस की पुतली By रक्षाबन्धन, Rubaai << इस्याँ से हूँ शर्मसार तौब... हुशियार है सब से बा-ख़बर ... >> रक्षा-बंधन की सुब्ह रस की पुतली छाई है घटा गगन पे हल्की हल्की बिजली की तरह लचक रहे हैं लच्छे भाई के है बाँधी चमकती राखी Share on: