इतना न ग़ुरूर कर कि मरना है तुझे By Rubaai << सहरा में ज़माँ मकाँ के खो... साग़र कफ़-ए-दस्त में सुरा... >> इतना न ग़ुरूर कर कि मरना है तुझे आराम अभी क़ब्र में करना है तुझे रख ख़ाक पे सोच कर ज़रा पाँव 'अनीस' इक रोज़ सिरात से गुज़रना है तुझे Share on: