जब काली घटाएँ झूम कर आती हैं Admin मेरी गलती शायरी, Rubaai << जंगल की ये दिल-नशीं फ़ज़ा... हर रात में है राह-नुमा ना... >> जब काली घटाएँ झूम कर आती हैं सावन का गीत कोयलें गाती हैं तब याद में गुज़री हुई बरसातों की आँखें मिरी सैल-ए-अश्क बरसाती हैं Share on: