जब रात गए सुहाग करती है निगाह By Rubaai << फिर अपनी तमन्नाओं का धागा... रखते हैं जो हम चाह तुम्हा... >> जब रात गए सुहाग करती है निगाह दिल में शब-ए-माह के उतरती है निगाह रतनार नैन से फूटती हैं किरनें या काहकशाँ की माँग भरती है निगाह Share on: