जब तजरबा की धूप में एहसास आया By Rubaai << इश्क़ तिरा अंदेशा अफ़्लाकी नहीं... >> जब तजरबा की धूप में एहसास आया अल्फ़ाज़ ने पैराहन-ए-शेअरी बख़्शा आँखों में चमक उठ्ठे हज़ारों दीपक मफ़्हूम का चेहरा भी नज़र में उभरा Share on: