ज़ाहिर वही उल्फ़त के असर हैं अब तक By Rubaai उर्यां सर-ए-ख़ातून-ए-ज़मन... >> ज़ाहिर वही उल्फ़त के असर हैं अब तक क़ुर्बान शह-ए-जिन्न-ओ-बशर हैं अब तक होते हैं अलम आगे जब उठती है ज़रीह अब्बास-ए-अली सीना-सिपर हैं अब तक Share on: