उर्यां सर-ए-ख़ातून-ए-ज़मन है अब तक By Rubaai << ज़ाहिर वही उल्फ़त के असर ... उल्फ़त हो जिसे उसे वली कह... >> उर्यां सर-ए-ख़ातून-ए-ज़मन है अब तक नामूस पे ईज़ा ओ मेहन है अब तक चेहलम के हैं दिन ख़ाक उड़ाओ यारो शब्बीर की लाश बे-कफ़न है अब तक Share on: