जन्नत का समाँ दिखा दिया है मुझ को By Rubaai << जवानों को मिरी आह-ए-सहर द... पैदल न मुझे रोज़-ए-शुमार ... >> जन्नत का समाँ दिखा दिया है मुझ को कौनैन का ग़म भुला दिया है मुझ को कुछ होश नहीं कि हूँ मैं किस आलम में साक़ी ने ये क्या पिला दिया है मुझ को Share on: