ज़ोरों पे है रोज़ ना-तवानी मेरी Admin प्यारी की शायरी, Rubaai << दे जिस को शराब-ए-नाब पानी... रहबान का क़ैस का महबूब है... >> ज़ोरों पे है रोज़ ना-तवानी मेरी बद-तर पीरी से है जवानी मेरी दुनिया में फँसा दिया अदम से ला कर गुज़री ज़िंदाँ में ज़िंदगानी मेरी Share on: