ज़ुल्मत का तिलिस्म तोड़ कर लाया हूँ By Rubaai << साक़ी से जो हम ने मय का इ... अंजाम पे अपने आह-ओ-ज़ारी ... >> ज़ुल्मत का तिलिस्म तोड़ कर लाया हूँ पंजा शब का मरोड़ कर लाया हूँ ऐ सुब्ह का नूर पीने वालो दौड़ो तारों का लहू निचोड़ कर लाया हूँ Share on: