कैफ़ियत-ओ-ज़ौक़ और ज़िक्र-ओ-औराद Admin औलाद पर शायरी, Rubaai << करता हूँ सदा मैं अपनी शान... कहते हैं सभी मुसदाम अल्ला... >> कैफ़ियत-ओ-ज़ौक़ और ज़िक्र-ओ-औराद दीन-ओ-इस्लाम और कुफ़्र-ओ-इल्हाद हर रंग है महव हर तअ'ल्लुक़ बरबाद है फ़क़्र तमाम इल्लतों से आज़ाद Share on: