कहती हैं यही तेरी निगाहें ऐ दोस्त By Rubaai << तूफ़ान नई तरह उठा देखें त... याद आती हैं जब हमें वो पह... >> कहती हैं यही तेरी निगाहें ऐ दोस्त निकलीं नई ज़िंदगी की राहें ऐ दोस्त क्यूँ हुस्न-ओ-मोहब्बत से न ऊँचे उठ के दोनों इक दूसरे को चाहें ऐ दोस्त Share on: