कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम By Rubaai << ख़ुद से न उदास हूँ न मसरू... जीना है तो जीने की मोहब्ब... >> कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम साया वो पड़ा पुश्त से आ कर सर-ए-जाम तुम कौन हो ''जिब्रील हूँ'' क्यूँ आए हो सरकार फ़लक के नाम कोई पैग़ाम Share on: