कहते हैं 'रज़ा' कभी कहीं पहुँचा है By Rubaai << अफ़्लाक पे जब परचम-ए-शब ल... जब हश्र में हों पेश अमल क... >> कहते हैं 'रज़ा' कभी कहीं पहुँचा है बैठा है जहाँ थक के वहीं पहुँचा है लो डूब गया कल वो भँवर से लड़ते क्या अब भी वो उस पार नहीं पहुँचा है Share on: