ख़ामोशी पे इल्ज़ाम लगाया न करो By Rubaai << ऐ बख़्त-ए-रसा सू-ए-नजफ़ र... गुल हैं कि रुख़-ए-गर्म के... >> ख़ामोशी पे इल्ज़ाम लगाया न करो बे-वज्ह मोहब्बत भी जताया न करो हम तुम से ख़फ़ा हो के कहाँ जाएँगे तुम हम को किसी तरह मनाया न करो Share on: