ला-रैब बहिश्तियों का मरजा है ये By Rubaai << यूँ इश्क़ की आँच खा के रं... ये शोला-ए-हुस्न जैसे बजता... >> ला-रैब बहिश्तीयों का मरजा है ये सब जिस में भरे हैं गुल ओ मजमा है ये देखे कोई मोमिनों के चेहरों की ज़िया 'मानी' भी है दंग वो मुरक़्क़ा है ये Share on: