यूँ इश्क़ की आँच खा के रंग और खिले By Rubaai << मय-ख़ान-ए-कौसर का शराबी ह... ला-रैब बहिश्तियों का मरजा... >> यूँ इश्क़ की आँच खा के रंग और खिले यूँ सोज़-ए-दरूँ से रू-ए-रंगीं चमके जैसे कुछ दिन चढ़े गुलिस्तानों में शबनम सूखे तो गुल का चेहरा निखरे Share on: