मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे By Rubaai << ममनूअ शजर से लुत्फ़-ए-पैह... लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-... >> मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे फ़िरदौस को रेहन-ए-ताक़-ए-निस्याँ कर दे साक़ी है मुग़न्नी है चमन है मय है इस नक़्द पे सौ उधार क़ुर्बान कर दे Share on: