लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-दीं को न छोप By Rubaai << मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ ... क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िश... >> लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-दीं को न छोप बल खाएँगे मुज्तहिद बिगड़ जाएँगे पोप ये कहती चली आती हैं लाखों अक़्लें पहने हुए आबा के पुराने कनटोप Share on: