मरमर के पए रंज-ओ-बला जीते हैं Admin नाराज पर शायरी, Rubaai << मस्जिद को दिया छोड़ रिया ... लो जाइए बस ख़ुदा हमारा हा... >> मरमर के पए रंज-ओ-बला जीते हैं नाराज़ हैं राज़ी-ब-रज़ा जीते हैं अरमान मुजस्सम है सरापा अपना जी मार के जीते हैं तो क्या जीते हैं Share on: