मौजों से लिपट के पार उतरने वाले By Rubaai << लज़्ज़त में ख़ुदी की खो ग... जंगल से घने ख़्वाब-ए-हक़ी... >> मौजों से लिपट के पार उतरने वाले तूफ़ान-ए-बला से नहीं डरने वाले कुछ बस न चला तो जान पर खेल गए क्या चाल चले हैं डूब मरने वाले Share on: