नादीदा ख़लाओं से गुज़र आई है By Rubaai << बुत-ख़ाने से दिल अपने उठा... ज़ाहिर भी तू है और निहाँ ... >> नादीदा ख़लाओं से गुज़र आई है किस तरह उठाए हुए सर आई है एहसास के पेचीदा मराहिल की क़सम चेहरे की थकन दिल में उतर आई है Share on: