शो'लों के भँवर मचल रहे हों जैसे By Rubaai << क्या हाल अब उस से अपने दि... मस्ती में नज़र चमक रही है... >> शालों के भँवर मचल रहे हों जैसे अनवार-ए-शफ़क़ पिघल रहे हों जैसे यूँ लोरियाँ गाता है इन आँखों में शबाब मंदिर में चराग़ चल रहे हों जैसे Share on: