पान उस के लबों पे इस क़दर है ज़ेबा By Rubaai << जब चाँद की वादियों से नग़... सहराओं की बात ज़ारों में ... >> पान उस के लबों पे इस क़दर है ज़ेबा हो रंग पे जिस के सुर्ख़ी-ए-लाल फ़िदा हर फ़ुंदुक़-ए-अंगुश्त से उस दस्त को गर गुल-दस्ता-ए-बाग़-ए-हुस्न कहिए तो बजा Share on: