सहराओं की बात ज़ारों में कही By Rubaai << पान उस के लबों पे इस क़दर... तालीम की मीज़ान में हैं त... >> सहराओं की बात ज़ारों में कही रूदाद-ए-हयात इस्तिआरों में कही हैरत है ज़माने को आख़िर क्यूँ-कर 'परवेज़' ने दास्तान इशारों में कही Share on: