पीरी में ख़ाक ज़िंदगानी का मज़ा Admin प्यारी की शायरी, Rubaai << आलूदा ख़यालात में तेरे हू... क्या वस्फ़ लिखूँ ज़ुल्फ़-... >> पीरी में ख़ाक ज़िंदगानी का मज़ा दाने का है लुत्फ़ और न पानी का मज़ा वो मय-कशी-ओ-ज़ौक़ कहाँ है ऐ 'शोर' ता-मर्ग न भूलेंगे जवानी का मज़ा Share on: