रिफॉर्म की हद By Rubaai << ऐ शैख़-ए-हरम तक तुझे आना ... अब ख़्वाब से चौंक वक़्त-ए... >> धोने की है ऐ रिफॉर्मर जा बाक़ी कपड़े पे है जब तलक कि धब्बा बाक़ी है धो शौक़ से धब्बे को पे इतना न रगड़ धब्बा रहे कपड़े पे न कपड़ा बाक़ी Share on: