रोता ही रहूँगा मुस्कुराने तो दो Admin मुस्कुराने की शायरी, Rubaai << ख़त्त-ए-आज़ादी लिखा था शो... तू ने सूरत जो अपनी दिखलाई >> रोता ही रहूँगा मुस्कुराने तो दो दम भर के लिए सुकून पाने तो दो उठ जाएगी ख़ुद रुख़-ए-तवक़्क़ो से नक़ाब कुछ और फ़रेब खाने तो दो Share on: