सद-हैफ़ कि मय-नोश हुए हम कैसे Admin खटीक शायरी, Rubaai << शह कहते थे अफ़्सोस न कहना... नाहक़ था 'क़लक़' ... >> सद-हैफ़ कि मय-नोश हुए हम कैसे अबरार से रू-पोश हुए हम कैसे कुछ याँ का ख़याल है न वाँ का खटका होश आते ही बेहोश हुए हम कैसे Share on: