सैलाब-ए-बला रक़्स न फ़रमाए कहीं By Rubaai << पस उस के गए सिपर जो हम कर... तन ऐश का घर है इस का अस्ब... >> सैलाब-ए-बला रक़्स न फ़रमाए कहीं सरकश-तूफ़ाँ न बढ़ के टकराए कहीं साहिल का तवाफ़ करने वालो होश्यार साहिल पे भी दरिया ही न छा जाए कहीं Share on: