सानी नहीं तेरा न कोई तेरी मिसाल By Rubaai << जो चश्म ग़म-ए-शह में सदा ... जिस पर कि नज़र लुत्फ़ की ... >> सानी नहीं तेरा न कोई तेरी मिसाल किस ख़्वाब की ताबीर है ये शान-ए-जमाल सीने में यकसूई के पलते पलते जैसे सूरत पकड़ ले यज़्दाँ का ख़याल Share on: