सर खींच न शमशीर-ए-कशीदा की तरह By Rubaai << शब्बीर का ग़म ये जिस के द... रुत्बा जिसे दुनिया में ख़... >> सर खींच न शमशीर-ए-कशीदा की तरह हर एक से झुक क़ौस-ए-ख़मीदा की तरह मंज़ूर-ए-नज़र है जो हिफ़ाज़त अपनी हो गोशा-नशीं मर्दुम-ए-दीदा की तरह Share on: