ग़ैरत में सियासत में शुजाअ'त में हो मर्द Admin मर्द पर शायरी, Rubaai << इस से कि कहीं के शाह हो स... झूमी है हर इक शाख़ सबा रक... >> ग़ैरत में सियासत में शुजाअ'त में हो मर्द हिम्मत में मुरव्वत में इबादत में हो मर्द लालच से शेख़त से तअ'ल्ली से हो दूर इतना हो कोई तो क़ौम का हो हमदर्द Share on: