सुब्ह-ए-अज़ल ओ शाम-ए-अबद कुछ भी नहीं By Rubaai << कहते रहें ये लोग कि अच्छा... ग़ुंचे को नसीम गुदगुदाए ज... >> सुब्ह-ए-अज़ल ओ शाम-ए-अबद कुछ भी नहीं इक वुसअ'त-ए-मौहूम है हद कुछ भी नहीं क्या जानिए क्या है आलम-ए-कौन-ओ-फ़साद दा'वे तो बहुत कुछ हैं सनद कुछ भी नहीं Share on: