ता-माह-ए-सियाम हुए बाब-ए-उम्मीद Admin राधा श्याम शायरी, Rubaai << था आदम-ए-ख़ाकी ग़ज़ब बे-ज... शह कहते थे अफ़्सोस न कहना... >> ता-माह-ए-सियाम हुए बाब-ए-उम्मीद और वास्ता-ए-जश्न हो ये यौम-ए-सईद हर रोज़ से हो तेरे शब-ए-क़द्र अयाँ हर शब से नुमायाँ हो तिरी रोज़-ए-ईद Share on: