तन्हा है चराग़ दूर परवाने हैं By Rubaai << तारीफ़ बताऊँ शेर की क्या ... शहरों में फिरे न सू-ए-सहर... >> तन्हा है चराग़ दूर परवाने हैं अपने थे जो कल आज वो बेगाने हैं बे-रंगी-ए-दुनिया का न पूछो अहवाल क़िस्से हैं कहानियाँ हैं अफ़्साने हैं Share on: