शहरों में फिरे न सू-ए-सहरा निकले By Rubaai << तन्हा है चराग़ दूर परवाने... सौ तरह का मेरे लिए सामान ... >> शहरों में फिरे न सू-ए-सहरा निकले फ़य्याज़ जो हो वतन के वो क्या निकले प्यासे आते हैं आप दरिया की तरफ़ प्यासों की तलाश को न दरिया निकले Share on: