तारीक है रात और दुनिया ज़ख़्ख़ार By Rubaai << बुलबुल की हज़ार आश्नाई दे... क्या अर्ज़-ओ-समा में नज़र... >> तारीक है रात और दुनिया ज़ख़्ख़ार तूफ़ान बपा है और कश्ती बे-कार घबराइयो मत कि है मदद-गार ख़ुदा हिम्मत है तो जा लगाओ खेवा उस पार Share on: