तौहीद By Rubaai << ईरानी फ़साहत और हिजाज़ी ग... अफ़्ज़ूँ हैं बयाँ से मोजि... >> काँटा है हर इक जिगर में अटका तेरा हल्क़ा है हर इक गोश में लटका तेरा माना नहीं जिस ने तुझ को जाना है ज़रूर भटके हुए दिल में भी है खटका तेरा Share on: