तिरी दुनिया जहान-ए-मुर्ग़-ओ-माही By Rubaai << सूरज पे जो थूकोगे तो क्या... आला रुत्बे में हर बशर से ... >> तिरी दुनिया जहान-ए-मुर्ग़-ओ-माही मिरी दुनिया फ़ुग़ान-ए-सुब्ह-गाही तिरी दुनिया में मैं महकूम ओ मजबूर मिरी दुनिया में तेरी पादशाही! Share on: