उस ख़ित्ते की जा आलम-ए-बाला में नहीं Admin बाल मजदूरी शायरी, Rubaai << वो वक़्त-ए-शबाब वो ज़माना... था आदम-ए-ख़ाकी ग़ज़ब बे-ज... >> उस ख़ित्ते की जा आलम-ए-बाला में नहीं यारा-ए-नज़र चश्म-ए-तमाशा में नहीं हर ताइफ़ा शायान-ए-तवाफ़-ए-मलकूत मेरठ में हैं वो लोग कि दुनिया में नहीं Share on: