याँ हम को दिया क्या जो वहाँ पर हो निगाह Admin मुद्दत शायरी, Rubaai << याँ नफ़्स की शोख़ी से है ... वो वक़्त-ए-शबाब वो ज़माना... >> याँ हम को दिया क्या जो वहाँ पर हो निगाह ताअ'त से कुछ उम्मीद न कुछ ख़ौफ़-ए-गुनाह कर फ़ज़्ल ही अपना कि अदालत कैसी आप ही तो मुद्दई' है आप ही है गवाह Share on: