याँ नफ़्स की शोख़ी से है मजनूँ लैला Admin बेस्ट ऑफ़ लक शायरी, Rubaai << या-रब तुझे फ़िक्र-पा-ए-बं... याँ हम को दिया क्या जो वह... >> याँ नफ़स की शोख़ी से है मजनूँ लैला क़ाने है तो मत बहर-ए-नफ़ी कहना ला ला शर्म ज़रा 'क़लक़' दुआ से पहले हाथों का उठाना भी तो है सूरत-ए-ला Share on: